________________ बासठवाँ-प्रकरण नारी विष की वेलडी, नारी नागण रूप; नारी करवत सारखी, नारी नाखे भवकूप. छाहड और रमा . कदाचित् बुद्धिमान् लोग समुद्र-को पार कर लें, लेकिन स्त्रियों की चेष्टा-चरित्र का पार कोई नहीं पा सकते. एक दिन राजसभा में बैठे हुए महाराजा विक्रमादित्य केत्र कोई एक पंडितने आकर स्त्रीचरित्र के विषय पर छाहड की कथा सुनाई जो इस प्रकार है. "श्रीपुर नामक नगर में छाहड नामका एक किसान रहता था. धारानगरी में रहनेवाले धन नामक कृषक की पुत्री रमा के साथ उस का विवाह हुआ. एक समय छाहड अपनी पत्नी को पीहर से लाने के लिये सुंदर वेष धारण कर के सुंदर रथ में बैठ कर धासनगरी में गया. सासने अपने जमाई को अपने पुत्र की तरह अच्छे पक्वान, दाल, चावल, घी आदि प्रेम से खिक्षा कर उस का खूब स्वागत किया. सुंदर वस्त्र और आमूषणां से सरकार पाकर अपनी पत्नी को अपने नगर में ले जाने के लिये हड तैयार हुआ.. - रमा भी सुंदर वखाभूषण पहन कर अपने स्वजन सबन्धियों से मिलने को गई. रास्ते में जिस प्रेमी व्यक्ति के P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust