________________ विक्रम चरित्र (1) पति की वल्लभता (2) पांच पर की स्थिति (3) नई नई इच्छाएं (4) सतीत्व (5) परदर्शन. इस का जवाब द्रौपदीने इस प्रकार दिया. ' (1) वर्षाऋतु का समय कष्टकारक है, लेकिन जीवनोपाय कृषिकर्म जलपानादि का हेतु होने से लोगों को वह समय प्रिय है. वैस ही-हे नारद ! स्त्रीका भरणपोषण करनेवाला होने से ही पुरुष स्त्रीका वल्लभ-प्रिय है (2) सुंदर पाची पाण्डब मुझे प्रिय हैं लेकिन मेरा चित्त छठे की तरफ आकृष्ट होता है. (3) जिस प्रकार गाय जंगल में नये नये घास को खाने की इच्छा करती है, उसी प्रकार स्त्रियों को नये नये पुरुषों को प्राप्त करने की इच्छा होती है. (4) जब तक एकान्त नहीं मिलता, वैसा क्षण नहीं मिलता, प्रार्थना करनेवाला पुरुष नहीं मिलता. हे नारद ! तभी तक स्त्री का सतीत्व टिकता है, अन्यथा, सतीत्व नहीं बच सकता. स्थान समय एकान्त का-और प्रार्थनाशील; मिलता नहीं इस से बना, रहता नारी का शील. . (5) जिस प्रकार नया घडा जल भरा होने पर झरता रहता है, उसी प्रकार भाई, पिता, पुत्र, अथवा किसी भी स्वरूपवान् पुरुष को देख कर स्त्रीयोनि-आर्द्र हो जाती हैं। __एक समय किसीने पूछा : __ हे प्राज्ञ ! प्रसिद्ध कीर्तिवाले पाण्डु देव ! श्रुत, कुल, आ पुरुषों की रक्षा कौन करता है ? राजा, वन और वनिता क रक्षा करने का क्या उपाय है ? इस के जवाब में कहते है, 'सतत P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust