________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित जास्तव में विषम हैं, क्यों कि एक पुरुष द्वारा नारी को कदापि संतोष नहीं हो सकता. कहा है कि - . विशिष्ट सत्वो से सुशोभित अंगोवाली सास, और पांच पतिवाली द्रौपदी को पूर्ण संतोष नहीं हुआ, ऐसा महाभारत का वचन सुनिये. दुर्वासा ऋषि के सामने नारदने जो उत्तम पांच वाक्य पूछे जो महाभारत में कहे हुए है, " यदि द्रौपदी पांच वाक्य सत्य कहेगी तो यह आत्र वृक्ष इस अकाले समय में भी फलदायक हो जायगा. " x ये पांच प्रश्न इस प्रकार थे... यह सारा प्रसंग महाभारत में इस प्रकार है. एक बार युधिष्ठिरने 88 हजार ऋषियों को उन का इच्छित भोजन देने का गर्व किया, इस पर युधिष्ठिर का गवः उतारने के लिये उन्होंने माघ मास में आम मांगा. अकाल में आम मांगने पर युधिष्ठिर चिंता में ... डबे. तब नारदने कहा कि, 'यदि द्रोपदी इन पांच प्रश्नो का सत्य उत्तर दे .... तो आम्रवृक्ष शीघ्र फल देगा. __ पंचतुष्टि 1 सतीत्व च 2 संबन्धे चातिशुद्धता 3 / . 1 पत्यौ प्रीति 5 मनस्तुष्टिः सत्यपंचकमुच्यताम् // .. द्रौपदीने ऋषियों को शान्त करने के लिये यह वचन अंगीकार किया. .. और हरेक प्रश्न के जवाब में. एक एक श्लोक कहा. पहले लोक से सभा में मूसल आम्रवृक्ष बन गया, दूसरे लोक से वह नव पल्लवित हुआ, तीसरे से उस पर मंजरी पैदा हुई, चौथे से फल लगे, और पांचवें से फल पक गये. . बाद में युधिष्ठिरने ऋषियों की इच्छा पूर्ण की. . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust