________________ 532 विक्रम चरित्र स्थिर रह सकती है, हवा भी स्थिर रह सकती है लेकिन स्त्रीयों का मन स्थिरता को प्राप्त नहीं कर सकता.' x उपरोक्त विचार करते करते राजा अपनी पत्नी तथा मंत्री को मारने के लिये तैयार हुए, लेकिन फिर शान्तचित्त से विचार किया, 'क्या इन पापाशय लोगों को मारना चाहिये ? इन दोनों को मारने से व्यर्थ ही लोक में मेरी निन्दा होगी, अतः यह पाप करना मुझे उचित नहीं.' यह सोच कर राजा अपने स्थान पर चुपचाप बैठा रहा. ____ मंत्री अपना काम पूरा कर के पेटी पर आकर बैठा, और आकाश मार्ग से पहले की तरह कोची हलवाइन के घर पहूँच . गया. फिर लेखनी सहित पेटी को कोची को अर्पण कर, रानी द्वारा कहे गये कुशलपृच्छा और प्रणाम को कह कर, प्रणाम कर के मंत्री अपने स्थान पर गया. .. - कोचीने पेटी में से जब राजा को बाहर निकाला, तब राजाने भी कोची को प्रणाम किया, और मधुर स्वर से बोला, " तेरे प्रसाद से मैंने रानी के चरित्र देख लिया, और अपनी स्त्री के इस प्रकार के चरित्र को देख कर मेरे हृदय में अतिशय खेद हुआ." तब कोची बोली, “हे राजन् ! स्त्रीचरित्र .. * सापिण्डयेवाहिदष्ट्राग्नि, यमजिह्वा विषाङ्कुरान् / .. जगज्जिधांसुना नाय; कृता क्रूरेण वेधसा || 517. यदि स्थिराभवेद् विद्युत्, तिष्ठन्ति यदि वायवः / देवात् तथापि नारीणां न हि स्थेम मनोभवेत् // स. 11/572 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust