________________ इकसठवाँ-प्रकरण कोची हलवाइनके वहां महाराजा का पहूँचना . स्त्रीचरित्र जानने की उत्सुकतावाले राजा विक्रमादित्य कोची हलवाइन के घर जाने के लिये अपने महल से रवाना हुए. बाजार में आकर चोराहे पर राजाने लोगों से कोची हलवाइन का घर के बारे में पूछा, तब लोगोंने कहा, "इस बाये तरफ के रास्ते से जाइए, और वहां आप परदेशी को भोजनशाला मिलेगी. पास में ही कोची हलवाइन का घर है. आप को वहां पर उत्तम प्रकार के पकवान् श्रेष्ठ चावल, दाल, व्यजन और शाक आदि, दही-दूध से संयुक्त सुंदर भोजन सामग्री द्रव्य देने पर मिलेगी. और निधन को मुफ्त भोजन मिलता है तथा अल्प दाम से मध्यम प्रकार की भाजन सामग्री मिलेगी. वहां इस प्रकारकी अच्छी व्यवस्था हैं. वहां चन्द्रमणि और सूर्यमणि के समूह से बनाये हुए एक मंजिल से लेकर सात मंजिल तक के सुंदर महलों की परपरा है, जो इस प्रकार दिखती है, माना अपने मित्र सूर्य तथा चंद्रको मिलने के लिये आनंदपूर्वक आकाश में जा रहे हो. पंचवर्णों वाले मणियों से वधे दर्पण की तरह निमल भूतल में लोग अपना प्रतिबिंब देखते रहते है. जहाँ द्राक्ष के आसव स्वरूप अमृत जल से भरी हुई तथा सुख से उतरने के लायक सुंदर सोपाना से युक्त मनोहर वावडियां है. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust