________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित अपने महापुरुषोने कहा है कि, जो कोई व्यक्ति कसोटीकाल में आपत्ति को पार कर शुद्ध सुवर्ण की तरह निर्मल होकर दीप उठते हैं, वही जगत में प्रशंसा को प्राप्त करते हैं. उसी तरह हरेकको चाहिये की आपत्तिकाल में धीरज धरे और अपने व्रत में अविचल रहेना, वही उन्नतिका एक श्रेष्ठ मार्ग हैं. शीघ्र मंगाईये !! / श्रावक कर्तव्यः-हिन्दी भाषा में:-प्रभात से लेकर रात्रि में शयन तक के तमाम श्रास्वक जीवन के उपयोगी विषयोंका अच्छी तरह विवेचन किया गया हैं, 1 श्रावक के मुख्य कर्तव्य, 2 ईक्कीस गुण, 3 हित शिक्षा छत्रीशी, 'मण्ह जिष्णाण' की सज्झाय का संक्षिप्त विवेचन, 4 धर्ममय विचारणा, 5 बारह व्रतोंकी संक्षिप्त और सरल समज, 6 तत्वमय विभाग में-देव का स्वरूप, अठारह दोषों का वर्णन, 7 गुरु का स्वरूप, पंचमहाव्रत का वर्णन, 9 धर्म का स्वरूप, 10 दान-शील तप भाव का स्वरूप और 11 दिनकृत्यभाग में 12 नवकार मंत्र का जाप कैसे करना, 13 चौदह नियम धारण करनेकी रीति, 14 श्रीजिनेश्वरदेव की पूजा प्रकरण में 15 दश त्रिकके तीस भेद और उसका विवेचन, 16 पांच अभिगम, 17 सात प्रकार की शुद्धि, अष्ट प्रकार पूजा की विधि, 18 रात्रि भोजन के दोष. 39 जिनमन्दिर में आरति व मगल दीपक कैसे करना- उतारना, 2.0 भावनापूर्वक शयन, 21 चार शरणा, 22 अत्मभाव की विचारणा, 23 तेरह काठियों का स्वरुप, 23 मीठाई आदि के काल की समज, 24 पच्चक्खाण विषयक खुलासा व दश पच्चक्खाण के फल, 25 श्री शत्रजय के इक्कीश खमासमण, इत्यादि विविधता से भरपूर और शासनसम्राट गुरुदेव का जीवन सहित पृष्ट 208 प्रचार के लिये मात्र किमत आठ आने, पोस्ट खर्च दो भाने अलग, बहुत कम नकल है शीघ्र मगाहये: पता-रमेशचन्द्र मणिलाल शाह Co शाह मणिलाल धरमचंद ठि. जेसिंगभाई की चाली में, घर नं. 63, पांजरापोल, अमदावाद. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust