________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 509 गंदी जगह के कीडे, देवलोक के इन्द्र को, एवं गरीब को और राजा को, सभी को मृत्यु का भय समान होता है. मैं जुआ खेलने वाला, चोरी करनेवाला और व्यसन सेवन फरनेवाला हूँ. अतः माता, पिता, सज्जनों और सकल लोक द्वारा त्यक्त हूँ. फिर तुम सुंदर शरीरवान एवं पतिवाली और शीलवान हो, अतः तुम्हें चोर के साथ ऐसी इच्छा रखना योग्य नहीं. एक तो चोरी करते समय मन में भय होता है, और दूसरा भय तुम्हारे साथ बात करने से मेरे हृदय में SH चोर और रत्नमंजरी के बिच वार्तालाप. चित्र न. 27 तत्पन्न हुआ है. फिर तुम जागती हो, अतः मेरा चोरी करने का प्रयास निष्फल हुआ. क्यों कि लोग जागते है, वहां से घोर कभी धन ग्रहण नहीं कर सकता." जब चोरने इस प्रकार P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust