________________ 498 विक्रम चरित्र झता था. उस के पास अट्ठारह करोड की सम्पति थी. जिसे / वह सात क्षेत्रों में खर्च करता था, और उनके दिन आनंद में बीतते थे, लेकिन एक कमी थी, उस को कोई संतान नहीं था. . रत्नमंजरी उसी नगर में श्रीपति नामक एक सेठ था, उसे श्रावक धर्म का पालन करनेवाली श्रीमती नामक स्त्री थी. लोग उन की खुब तारीफ किया करते थे, क्यों कि जो ऋद्धि, वृद्धि, कीर्ति और स्वजन समूह से युक्त होता है, उसी की लोग प्रशंसा अधिक करते है. अर्थात् ये सब चीजे उस के पास थी. उस सेठ के सोम, श्रीदत्त और भीम नामक तीन पुत्र थे, उस के बाद सुंदर तथा शुभलक्षणा एक पुत्री का जन्म हुआ, उस समय सेठने पुत्र जन्म से भी अधिक उत्साह के साथ उस का जन्मोत्सव मनाया, और उसने काफी द्रव्य खर्च किया, पुत्र जन्मका महोत्सव तो सभी करते है, लेकिन पुत्री के * जन्म होने पर उत्सव तो कहीं भी देखने में नहीं आता. कहा भी है___पुत्री के जन्म होते ही शोक होता है, बडी होने पर उसे किसे देना इस की बड़ी चिंता होती है, पुत्री का विवाह करने के बाद वह सुखी होगी या नहीं इस का तक वितक होता रहता है, सच है, कन्या का पिता होना कष्ट कर ही है. लेकिन इस श्रीपति सेठने तो पुत्र जन्म से अधिक हर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust