________________ 492 विक्रम चरित्र इस नगर में एक किसान कुटुम्ब रहता है, उस का नाम भीम और उस की स्त्रीका नाम लक्ष्मी है, क्रमशः उसके धन्य तथा सोम नामक दो पुत्र हुए. उसके घर पाँच भैसे थी. उन के दूध से दस सेर घी बनता था. जिस में से भीम की पत्नी आठ सेर घी का संग्रह करती और दो सेर घी से अपने कुटुंब का निर्वाह करती थी. धन्य के बड़े होने पर उसके पिनाने द्रव्य खर्च कर के उस का विवाह कराया. धन्य भी चतुर किसान की तरह हल चला कर कृषि कर्म से जीवन यापन करने लगा. वर्षाः काल में जब धन्य खेत में काम करता, तो उसकी माता अपनी पुत्रवधू के हाथ उसे खेत में भोजन भेजा करती थी. माता अपने पुत्र के लिये एक पलि-कछली घी हमेशा भेजती थी उसकी माता कुटुंब के प्रत्येक व्यक्ति को एक एक पलि से जरा भी अधिक घी नहीं देती थी. क्यों कि सारे कुटुंब की आजिवीका घी बेचने से व खेती से ही हुआ करती थी. एक दिन माता किसी गाँव जा रही थी, तो उसने पुत्रवधू को आदेश दिया, 'अपने घर में जितने घी का व्यय होता है उतने ही घी से काम चलाना, अधिक घी का उपयोग मत करना.' सासु के चले जाने पर उस की पुत्रवधू ने गुप्त रीति से अधिक घी का उपयोग कर के सुंदर भोजन बना कर अपने पति को खिलाने लगी, साथ ही उसने अपन पति से यह भी कहा, 'यदि अब से आप इस परिवार से अलग होकर रहे तो मैं अधिक घी से हमेश आपका पोषण P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust