________________ 490 विक्रम चरित्र - इतना कहने पर भी राजाने अति आग्रह किया, तब बालपंडिता बोली, 'हे राजन् ! पर स्त्री से ऐसी बात पूछना आपके लिये योग्य नहीं है. फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो आप अपने 'पुष्पहास' नामक मंत्री को अभी बुलाकर पूछ सकते हैं.' राजाने कहा, 'वह मंत्री तो जेल में डाला गया है.' बालपंडिताने कहा, 'उसे जेलखाने में से जल्दी ही बुला कर पूछ लीजिये, उस पुष्पहास मंत्री पर देवता प्रसन्न है. अतः उसके द्वारा आराधना करने पर देव सभी शुभाशुभ कह __ वालपंडिता के इस प्रकार कहने पर राजाने पुष्पहास मंत्री को जेलखाने से निकलवा कर अपनी सभा में बुलवाया. सभा में आने पर जब वह मंत्री हँसा तब उस के मुख से फूलों का समुह गिर पडा. मत्स्यहास्य का रहस्यस्फोट राजाने कहा, 'हे मत्रि ! मत्स्य के हँसने का क्या कारण था ?' राजा के द्वारा इस प्रकार पूछने पर मत्रीन लेखनी, कागज और श्याहि मँगवाकर वहाँ रख दिया. तब देवने उस कागज पर स्पष्ट रूप से इस प्रकार लिख दिया, 'हे राजन् ! तुम्हारी प्रिया महावत के साथ प्रेमपाश में बधा हुई है, यदि तुम्हे शंका हो तो उस के पीठ पर का वन उतार कर देखो, जिससे तुम्हारा संशय नाश हो जायगा. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust