________________ 488 विक्रम चरित्र मत्स्यहास्य का कारण जानने पर आप को रमा नामनी की स्त्री की तरह पश्चाताप करना पडेगा. जिस की कथा इस प्रकार है. रमा की कथा : लक्ष्मीपुर नामक नगर में मुकुन्द नामक एक क्षत्रिय राजा था. उसका रमा नाम की पत्नी थी. एकदा उसने पास ही के एक नगर के राजा चंद्र को देख लिया, जिस से उसके रूप पर मोहित हो गई. और उसे वरण करने की इच्छा करने लगी, अतः वह हमेशा चिंतातुर रहने लगी. जब मुकुंद उसे चिंतातुर रहनेका कारण पूछता तो इधर उधर की मिथ्या बातें वह कह देती. कहा भी है कि,-चिंतातुर लोगों का कहीं सुख नहीं मिलता न उन्हे नींद आती है. __ . राजा के थोडा बहुत बोलने पर भी वह उस पर बहुत गुस्से हो जाती. एक दिन क्रुद्ध होकर उसने कहा, 'मैं अन्य राजा के साथ विवाह करूंगी.' तव मुकुंदने कहा, 'इस प्रकार बोलना उचित नहीं है, क्यों कि कामभोग की इच्छा से कोई स्त्री किसी दूसरे राजा के पास नहीं जाती. कहा भी है ऐश्वर्य का अल कार मधुरता, शौर्य का भूषण वाणी पर काबु-संयम, ज्ञान का भूषण शांति, शास्त्र ज्ञान का भूषण, विनय, धन का भूषण योग्य सदुपात्र में धन का व्यय करना, तपस्या का भूषण अक्रोध, प्रभाव-अधिकार का भूषण क्षमा, तथा धर्म का भूषण दंभ रहिता है. लेकिन सभी में उत्तम और सर्वगुणो का आश्रयस्थान शील-सदाचार ही परम भूषण. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust