________________ 484 विक्रम चरित्र ECARTAL कुहाडा लेकर कमल मूर्ति तोडने को तैयार हुआ. चित्र न. 25 कहा, 'हे कमल ! तुम हमेशा वी-गुड से मिश्रित पांच-मालपूआ-मण्डक और पांच स्वर्ण मुद्दा यहां से लेते जाना. जब तक तुम उन मडक को नहीं खाओगे तब तक वे समाप्त नहीं होगे, और जब तुम उन्हे खाओगे तब वे पूर्ण होंगे, पर यह बात तुम किसी और से मत कहना. जिस दिन यह बात तुम किसी को भी कहोगें, उस दिन से मैं तुम्हे मडकादि कुछ नहीं दूंगा.' तदनतर वह कमल हमेशा पांच सुवर्ण मुद्रा सहित घा गुड मिश्रित-मालपूआ लाकर अपना और कुटुम्ब का सुख पूर्वक निर्वाह चलाने लगा. वह अपने सगे सम्बधियों को भी मण्डक आदि देता था, और बाद में वह स्वयं खाता था: इस प्रकार धीरे धीरे वह बहुत लक्ष्मीवान् बन गया. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust