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________________ 478 .. विक्रम चरित्र को दस मुख थे यह जैन मान्यता नहीं है. उन्हों के गले में नवरत्न का हार था इस से दश मुख दिखते थे.) PR ANS: vratrical बर . DROPHON.PHT EGenu राजपुत्री वरमाला हाथ में लेकर महाराजा विक्रम के पास पहुँची. चित्र नं. 25 इस प्रकार जब महाराजा विक्रमने चारों समस्याओं की पूर्ति कर दी, तब राजपुत्रीने आगे बढ कर राजा के गले में वरमाला पहनाई. तदनन्तर प्रचुर धन के व्यय से सुंदर उत्सव पूर्वक राजा विक्रमादित्यका राजपुत्री पदमावती के साथ विवाह हुआ. . पाठकगण ! अपने पुण्यबल से अनेकानेक कार्यो में जब सहजमें ही सफला मिलती है, तब उसमें कोई कारण हो तो शुभ कायो से उपा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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