________________ 477 साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित - .. अर्थात् कुंतीने पांच पाण्डवोंको जन्म दिया और गांधारी ने सो पुत्रों को. लेकिन पांच ही पाण्डवोने सो कौरवो को जित लिया, इस लिये बहुत पुत्रों को जन्म देने से क्या ? वीरपुत्र एक भी अच्छा है.. - तीसरी गहूंली के पास खडी होकर राजकन्या तीसरी समस्या के पाद को इस प्रकार बोली, "तेहिं परिणी काह करेसि” इस सुंदर पाद को सुनकर राजाने पुनः सब के सामने इस प्रकार समस्यापूर्ति की "पंचासवरिसवरपरिणावइ पांच वरसनी नारी; पोपट कूवरि इम भणइ ते परिणी काह करेसि." : ___ अर्थात्-हे शुकराज कुंदरी यह पूछती है कि पचास वर्ष का पुरुष पांच वर्ष की स्त्री से साथ विवाह कर के क्या करेगा ? इस बाद चौथी गहूली के पास आकर कुमारीने कहा, "करण पीआवू खीर" इस समस्या को कहा. तब इस पाद की पूर्ति के लिये राजा इस प्रकार बोले, नहीई रावणजाईड दहमुह एकसरीर; माई वीअंभी चीतबइ कवण पिआवू खीर." अर्थात्-जब रावण का जन्म हुआ तो उसके दस मुंह और एक शरीर था. अतः उस की मां विचारमें पड गई कि किस मुख को खीर-दूध पिलाऊँ ? ( यह लोकमान्यता है रावण P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust