________________ 474 विक्रम चरित्र होकर चारों दिशाओं के राजकुमार म्लान मुख हो अपने अपने देश लौट गये. राजा भी सभा से उठ कर अपने महल में चला गया. शुकराज भी राजकन्या के साथ राजमहल में लौट आया. तब अमरसिंह राजाने शुकराज को बुलाकर पूछा, " हे शुकराज! अब राजकुमारी के विवाह का क्या किया जाय ? सब राजकुमार भी लौट गये हैं.” * शुकराजने धैर्यतापूर्वक कहा, “हे राजन् ! आप वृथा खेद न करें. महात्मा लोग आगे होनेवाले कार्यो के लिये खेद नहीं करते है, कहा भी है बुद्धिमान लोग अतित काल अर्थात् बीती हुई बात का अफसोस नहीं करते, न भविष्य की ही चिन्ता करते है, वे केवल वर्तमानकाल पर विचार कर उसी समयानुसार कार्य करते हैं." x राजा और शुकराजने आगे क्या कार्य किया जाय तथा अपनी राजकन्या का लग्न किसके साथ कैसे हो इस संबंध में सलाह की. सलाह कर के शुकराज उस राजकुमारी तथा अपने साथ कुछ मंत्री आदि परिवार को लेकर राजकन्या के लिये पति की शोध में परदेश की ओर चले. चलते चलते वे कई देशों में, घूमे और कई राजाओं तथा राजपुत्रों से समस्याए पूछी पर कोई भी समस्या पूर्ति न कर सके. क्रमशः घूमते घूमते अवन्ती नगरी के बाहर उद्यान में आ पहूँचे. . * अतीत नैव शोचन्ति भविष्य नैव चिन्तयेत् / .. वर्तमानेन कालेन; वर्तयन्ति विचक्षणाः / / स.. 11/93 // P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust