________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित चले गये. तब शुकराज दक्षिण दिशासे आये हुए और दक्षिण दिशास्थित राजकुमारों के पास पहूँचा, और उन राजकुमारों से इस प्रकार बोला, “हे राजपुत्रों! आप यदि मेरे पूछे : हुए प्रश्न का उत्तर देगें तो राजा अमरसिंह अपनी पुत्री को उत्सवपूर्वक आप को प्रदान करेगे. यदि प्रश्न का . प्रत्युत्तर नहीं दे सको तो दूसरे राजपुत्र मेरे प्रश्न का उत्तर देंगे उस के साथ राजा अपनी पुत्री का उत्सवपूर्वक विवाह करेगे." तब उन राजपुत्रों ने कहा, “शुकराज! तुमे समस्या आदि जो पूछना हो वह कहो. तब शुकराज इस प्रकार वाला, "कि किज्जइ बहुएहिं." समस्या का अर्थ नहीं जाननेवाले उन राजकुमारों को शुकराजने कहा, “हे राजपुत्रों! आप अपने घर जाइये." तब वे राजपुत्र खिन्नवदन होकर अपने अपने नगर की और चले गये. शुकराज भी पश्चिम दिशा से आये हुए और उसी दिशामें स्थित राजपुत्रों को सन्मुख यह समस्या बोला, "तहिं परिणी काह करेसि." इस प्रकार की समस्या को सुन कर . उन्होंने लाख कोशीस की किन्तु समस्या की पूर्ति करने में वे असमर्थ रहे. शुकराज ने उन को प्रत्युत्तर देने में असमर्थ नान कर उत्तर दिशा से आये हुए और उत्तर दिशा में बैठे हुए राजपुत्रो से "कवण पीआयूँ खीर" यह समस्या पूछी; किन्तु वे राजकुमार भी समस्या पूर्ति का हल न होने पर निराश P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust