________________ 472 विक्रम चरित्र से शुभ दिन में राजकुमार आ गये. उन आते हुए राजकुमारों को राजा ने यथायोग्य आवास-ठहरने के लिये दिये. तब शुक राजा के पास गया, और हाथ जोडकर बोला, "हे राजन् ! अब सभी राजकुमार आ गये हैं, अतः जो राजकुमार राजकन्या के पूछे हुए प्रश्नों का उत्तर देगा, अर्थात् समस्या की पूर्ति करेगा, उसके साथ अपनी पुत्री का उत्सव सहित पाणिग्रहण करवाये." तब राजाने शुक से कहा, " जैसो इच्छा है वैसा ही करो.” तब शुक राजा के पास से उठ कर पूर्व दिशा में स्थित राजपुत्रों के पास गया और बोला, "राजकन्या द्वारा पूछी हुई समस्या की पूर्ति जो करेगा, उसे राजा अपनी पुत्री खुशी से महोत्सवपूर्वक देगे. यदि आप में से कोई समस्यापूर्ति न कर सकें तो अन्य व्यक्ति को दी जायगी." यह सुन कर पूर्व दिशा से आये हुए राजपुत्र बोले, " हे शुक ! तुम्हें जो ठीक लगे वह समस्या हमारे सामने कहो" शुकने समस्या का चतुर्थ पाद कहा, “एक ल्ली बहुएहिं .'' अर्थात् भाषा में स्पष्ट कर के शुकराजने कहा, “एक ही बहुतेसे." वे राजपुत्र समस्या के अर्थ को जानते नहीं थे. तब शुकराज उन राजपुत्रों से बोला, "हे राजपुत्रों! निश्चय ही कन्या आप में से किसी को नहीं दी जायगी. अतः आप जसे आये वैसे ही उठ कर चले जाये." तब खिन्न होकर वे अपने अपने स्थान का P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust