________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 469 राज्य में रहने के साथ तथा भयरहित अपने कामों को करते थे. ओर आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करते थे.. ___पाठकगण ! इस प्रकरण में आपने महाराजा का पूर्व भव कथन गुरुदेव के मुखसे सुना, दयाभाव से चन्द्र वणिकने बकरीयां से मारा जाता बकरे कों बचाया. उस पुण्य के प्रभाव से दूसरे भवमें सो वर्ष की आयु प्राप्त कि 'जियो और जिनेदो.' यह सिद्धान्त कितना जीवन में आदरणीय है, वह इस से प्रगट होता है. सतावनवाँ-प्रकरण समस्या-पादपूर्ति जो जामे निशदिन वसे, सो तामे परवीण; सरिता गज को ले चले, उलत चलत है मीन. इस भारतवर्ष में लक्ष्मीपुर नामक नगर में अमरसिंह नामके राजा राज्य करते थे. उन की प्रेमवती नामकी भार्या थी, कुछ समय के बाद राजा की भार्या को एक पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई, जिस का नाम श्रीधर रखा गया. और उसके अनन्तर एक पुत्री हुई, उसका नाम पद्मावती रखा. बहुत. प्रेम से लालनपालन पाती हुई, वह पुत्री धीरे धीरे बड़ी हुई.. महाराजा अमरसिंह के वहां एक कोई देवताई. तोता था, वह बहुत ही बुद्धिशाली था. एक वख्त सुनने पर वह तोता हर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. * Jun Gun Aaradhak Trust