________________ विक्रम चरित्र इस तरह परस्पर विचार कर वे तीनों मित्र उठे, और सन्मानपूर्वक चंद्रने अपने मित्र सहित दोनों मुनियों को नमस्कार किया तथा चंद्रने अपने भाते में से शुद्ध अन्न का भावभक्ति सहित दान दिया. कहा भी है, “प्रिय वचन सहित दान, गर्व रहित ज्ञान, क्षमायुक्त वीरता, त्याग सहित धन, ये चारों कल्याण कारक प्राणीको मिलने इस जगत में दुर्लभ है.x NADU ASTRO SANA awade THANTE RSSIMURALLERS TWASAN AULMITRA TASHW. m Aad चन्द्र वणिक मुनिजी को भाव से दान दे रहा है. चित्र न. 22. एक समय वह चंद्र वणिक को वीर नाम के काई x वीर न होता क्षमायुक्त है, प्रेम सहित नादान / त्याग सहित ना धन मिले अहंकार बिन ज्ञान / / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust