________________ 444 विक्रम चरित्र HTHHTHHATTI -- ann દલઝમ: 'पद्मा और अग्निक परस्पर बातें कर रहे है. चित्र न. 19 को मारकर उस का खन इस बालक को पिलाओ तो दाघायु होगा. इसी कारण मेरे पतिदेव यहां आये है, और अग्निवैताल की खोज के लिये इसी नगर में गये है." / 1. पद्मा की बात सुनकर अग्निवैताल घबडाया हुआ सा बोला, “हे देवी! आपने अभी मेरे प्रणाम करने पर 'चिरजीवी रहो.' ऐसा आशीर्वाद मुझे दिया है, फिर आप मुझ मारने की बात कर रही हैं, यह कैसी असंगत बात है। स्त्रीने पूछा, “क्या तुम अग्निक हो ?" अग्निकने कहा, “ह मैं अग्निक हुँ. श्रेष्ठ व्यक्ति जो कुछ भी एक बार कह" है, उस का मरते दम तक पालन करते है, आपने मुझ अना P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust