________________ विक्रम चरित्र पास में बैठाकर वह नौकरी की खोज के लिये नगरी में घूमने लगा. ___ इधर पुण्यवान् उस बालक के प्रभाव से श्रीद सेठ की दूकान पर माल लेने वाले ग्राहक लोगों को भीड लग गई, जिस से श्रीद् सेठ की विक्री उस दिन खुब हुई, और नफा भी अधिक हुआ, श्रीद् सेठ विस्मित होकर विचारने लगा, 'आज एकाएक इतनी बिक्री कैसे हो गई ?' थोड़ी देर के बाद सेठने अपनी दुकान के पास में ही एक युवान स्त्री को अपनी गोद में बालक लेकर बैठी हुई देखा. उस स्त्रीके पास आकर उस वृद्ध सेठने पूछा, 'अरे बहन ! तेरी गोद में पुत्र है या पुत्री है सो कहाँ ?" .. श्रीद् सेठ के पूछने पर उस स्त्रीने अपना पुत्र उस सेठ को बताया. सेठ सूर्य जैसी कान्तिवाला सुन्दर बालक देखकर अति आनन्दित हुआ, और मन में सोचने लगा, 'इसी भाग्यशाली के प्रभाव से आज मेरी दुकान में इतनी अधिक बिक्री हुई और नफा भी खुब हुआ है !' - उसी समय रूपचन्द्र नगरी में से घूम घूमाकर वापस आया, और अपनी प्रिया से कहने लगा, “है प्रिये ! इस नगरी से चलो-यहाँ अपना निर्वाह होना असम्भव है. क्यों कि यहाँ कोई मुझे नोकरी रखने को तैयार नहीं है." उपरोक्त बातचीत को सुनकर सेठजीने कहा, "हे पथिक ! आज आप मेरे यहाँ पाहुना-महेमान रहिये. जितने दिन सानुकुलता रख P.P. Ac. Gunratnasuri M:9. Jun Gun Aaradhak Trust