________________ '434 विक्रम चरित्र उत्तर में शान्तिपूर्वक निवेदन करते कहा, 'हे राजन् ! राजकुमार को राज्य का प्रधान हाथी मारना नहीं चाहिये था, क्यों कि वह राज्य का रक्षक हैं, जैसे राज्य के लिये हाथी महत्व का अंग माना जाता है, देखिये युद्ध के समयमें हाथी द्वारा शत्रु के नगर का दरवाजा तुड़वाया जा सकता है, और राज्य में वह मंगलकारक माना जाता है. हे राजन् ! मैं अधिक क्या कहूँ, मुझे बहुत दुःख हो रहा है, अपने इस प्रधान हस्ती के मरने से आप के शत्रुओं द्वारा उनके राज्य में मंगल मनाया जायगा. क्यों कि प्रधान हस्ती के मरने से सेना के बल में कमी हो जाती है, इसी लिये राजकुमारने यह कोई अच्छा काम नहीं किया है, हाथी को तो किसी ढंगसे वशमें करने का था, पर उसे मारना उचित नहीं था; और आप इस अनुचित कार्य के चिये बड़ा उत्सव मना कर राजकुमार को प्रोत्साहन दे रहे है, यह ठीक नहीं. हुआ. राज्य के सभासदों को बुलाकर आप विजय की खुशिया मना रहे है. जब कि आप के शत्रु वर्ग आप की इसी विजय में आप की हार देखते है, मैं हस्ति को मारने के विषय को उचित नहीं समझता. इसी लिये मैं इस उत्सव में सम्मिलित नहीं हुआ, और कोई कारण नहीं है. क्यों कि “माता, पिता, मित्र, भाई, पुत्र, पुत्री आदि स्नेहीजन और हाथी, घोड़े तथा गाय वगेरे की मत्यु हैाने से, और P.P. Ac. 'Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust