________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 433 किया, बाद में राजपुत्रने गजराज को अपनी चालाकी से खुब घुमघुमाया और जोर से मर्मस्थान पर भाला मार कर हाथी को एक क्षण में ही पृथ्वी पर गिरा दिया. ___ इस प्रकार राजकुमार के द्वारा मदोन्मत्त गजराज को पल में गिर कर मरे हुए देख, महाराजा और एकत्रित सारी प्रजा राजकुमार की वीरता पर हर्षोन्मत हो गई, 'जय, जय की' ध्वनि से प्रजाने आकाश भर दिया. सारा राज्य में राजकुमार के पराक्रम की तारीफ होने लगी, महाराजाने प्रसन्न है। अपने वीर पुत्र को अभिनंदनार्थे अपने नगर को तोरण पताकादि से सुशोभित कर एक बड़ा महोत्सव मनाया, और एक विराट सभा बुलाकर उस सभा में महाराजाने राजकुमार को अघटकुमार के नाम से घोषित किया. क्यों कि राजकुमारने अपने पराक्रम से अघटित घटना को घटित कर दिखाया था, इसी लिये उन दिन से रूपचंद्र का अघटकुमार नाम लोकमें प्रख्यात हुआ. नगर की सारी प्रजाने भी अपने महाराजा को विशेष रुप से बधाई दी, महाराजाने उस भविष्यवेता ब्राह्मण को बुलाकर उसका सम्मान कर खुब धन देकर विदाय किया. उत्सव में राज्य के छोटे बड़े सभी सम्मानित लोग बधाई देने आये किन्तु राज्य के प्रधान मंत्री सुमतिराज एक नहीं आये, इस से राजा को बुरा लगा, अतः उस बात को लेकर महाराजाने मंत्रीश्वर को कुछ भला बुरा भी कहा, मंत्रीने P.P.AC. Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust