________________ 432 * विक्रम चरित्र गया. किन्तु उस हाथी से ब्राह्मणो का छूडाने की हिम्मत किसी मनुष्य में नहीं थी, इस दयनीय दशा को देख कर राजपुत्र रूपचंद्रने उस ब्राहूभणी की रक्षा के लिये भाला लेकर हाथी के सामने जाकर जोर से कहा, “अरे, दुष्ट गजराज ! तुम सबल होकर भो उस अबला को क्यों परेशान करते हो ? यदि तुम्हारे में बल हो तो मेरे सामने आ जाओ." राजपुत्र की इस ललकार को सुन कर गजराजने ब्राह्मणी को छोड़ दिया. और शीघ्र राजकुमार को पकड़ना चाहा. राजपुत्र रूपचन्द्र हाथी को पढ़कारता है. चित्र न. 18 गजराज क्रोध से धमधमता हुआ, रक्त नेत्र कर यमराज की तरह राजपुत्र के ऊपर धस आया. किन्तु राजपुत्रने भी अपने बल और पराक्रम से उस का अच्छी तरह सामना P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Juan Gun Aaradhak Trust