________________ चोपनवा-प्रकरण स्वामीभक्त अघटकुमार "भाग्यवान नृपको मिले, सेवक स्वामीभक्त; रूपचन्द्र पर इसी लिये, विक्रम हुए अनुरुक्त." महाराजा विक्रमादित्य अपने पुण्य प्रभाव से बहुत अच्छी सरह राज्य कारभार चला रहे हैं, महाराजा की सेवामें एक पराक्रमी अघटकुमार नामका सैनिक रहता था, जिसने अपनी * शकि से अग्निवैताल जैसे असुर को भी अपने वशमें किया था, अग्निवैताल को वश करने के कारन राज्य के अधिकारीयों में और सारी नगरी में उस की ख्याती बढी हुई थी, प्रत्येक स्थान पर प्रजादि में उसके पराक्रम की ही बातें हुआ करती थी. उस का अघटकुमार नाम कैसे हुआ वह रसमय वृत्तान्त यहां पर निदेशित किया जाता है. . वीरपुर नगरमें राजा भीम न्यायनीति से राज्य का पालन करता था, उसको पद्मा नाम की महारानी थी, उनसे जन्मा हुआ रूपगुणादि से युक एक रूपचन्द्र नाम का पराक्रमी पुन था. राजा भीम से सम्मानित चन्द्रसेन नामका एक शूरवार कोटवाल था, जो कि परम राजभक्त था. उसी ही नगर म गंगादास नामका एक राजपुरोहित भी रहता था, उस का. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust