________________ - 422 विक्रम चरित्र हे गगनधूली ! ऐसी सती स्त्री बड़े भाग्य से ही मिलती है, जो बड़ी सुन्दर एवं शीलवती हो, सदा अच्छे आचार. विचार रख सकती हो, और वही सतियों के गुणों से सदा युक्त हो, इत्यादि." - इस तरह प्रसंशा करके गगनधली के साथ उसके घर आकर पुनः सुरुपाके समक्ष उसकी फिर प्रसंशा किया और 'क्षमा याचना की और कहा, “हे स्त्री ! तुमे धन्य हो, तुम सतियों में श्रेष्ठ हो, तुम्हारे में हमको एक भी दोष देखने में नहीं आया, निष्कल क सदाचार में सदारत तुम इस संसार के लिये आदर्श रूप हो, और तुम्हारा निर्मल चरित्र जगत् प्राणी के लिये अनुकरणीय हैं." VNX XXX YYYY H REE गगनधूली के घर महाराजा का पुनः आना. चित्र न. 16 इस प्रकार गगधूली की व सुरुपा की फिर से बार बार P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust