________________ 420 विक्रम चरित्र कर लिया ? और हमारे लिए भाति भाति के इतने स्वादिष्ट मिष्ठान्न कैसे तैयार कर लिए ?" गगनधूलीने कहा, "हे राजन् ! मेरी पत्नी के पास दो यक्ष और एक यक्षिणी है, ये तीनों मिनटों में हजारो 'लोगों के लिए भोजन तैयार कर देते हैं. उसी का यह सब 'परिणाम हैं." ___ महाराजाने कहा, "हे गगनधली ! आप उन यक्ष यक्षिणी को मुझे दे दो, मेरे रसोईघर का कार्य ठीक से चलेगा. इस आग्रह को मानकर गगनधली की प्रियाने कहा, "हे राजन् ! आप अपने देशमें पहूँचने तक भोजनादि की सुविधा प्राप्त कर, पुनः यदि यक्ष यक्षिणी को वापिस यहां पहूँचा सके तो, मैं आप को उन्हें दे सकती हु, अन्यथा नहीं." इस बातका महाराजाने स्वीकार करने पर उसने एक पेटी में खाने-पीने का सामान रख उस को चन्दनादि से सुवासित कर मूलदेव, शशीभत और उस वृद्धा को उस में बैठा कर पेटी को सुरुपाने महाराजा को सेप दिया, उस पेटी को लेकर बड़े उत्साह से महाराजा विक्रम दल-बल के साथ वहांसे अपने देशकी ओर चले. दूसरे दिन रास्ते में जब भोजन का समय हुआ, तब महाराजाने उस पेटी की पुष्पादि से पूजा कर उस पेटी से भोजन सामग्री मांगा, लेकिन उस से तो कुछ नहीं प्राप्त हुआ. भार चल. . P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust