________________ विक्रम चरित्र सुरु पाने उन तीनों को थोढ़ा थोडा अन्न जल देकर किसी प्रकार उस खड्डे में ही जीवित रख्खा और राज कहती थी, “यह तुम्हारे पापों का तुम फल भोग रहे हो." (e) एन तीनों खड्डे में रो-रोकर समय विताते है. चित्र न. 15 इधर महाराजा विक्रमादित्य मूलदेव और शशीभृत की बहुत उत्सुकता से राह देख रहे हैं, दोनों की ओर से आज तक कोई समाचार ही नहीं आये, उसका कोई पता नहीं चलता, क्या करें ? एक दिन महाराजा गगनधूली से पूछा, "हे वणिक ! देखो मूल देव और शशीभृत दोनों ही अभी तक नहीं आये हैं, और तुम्हारी यह माला भी नहीं सूखा है, यह बहुत आश्चर्य है, इस का कुछ कारण बताओ ?" गगनधूलीने कहा, "हे राजन् ! मेरा विश्वास है कि P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust