________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 411 . इस तरह मनमें सोच कर राजाने कहा, “हे गगनधूली ! तुम बुरा न मानो तो तेरी स्त्री की मैं परीक्षा करवाऊँ ?" गगनधूलीने कहा, "हे राजन् ! स्वेच्छा से आप मेरी पत्नी की सच्चाई की परीक्षा किसी भी प्रकार से कर सकते है." तब महाराजा विक्रमादित्यने अपने मूलदेव शशी आदि नामवाले चतुर सेवकों को बुलाकर गगनधूलो कि स्त्री के शील महात्म्य की सारी कथा सुनाई. इन बातों को सुन कर उस सेवकों में से एक मूलदेव नामक सेवकने राजासे कहा, “हे राजन् ! आप आज्ञा दें तो, मैं गगनधूली की पत्नी की परीक्षा कर सकता हूँ, और मिनटों में मैं उस स्त्री को शील से चलित कर दूंगा." महाराजाने कहा, "अच्छी बात है-मूलदेव तुम अपनी इच्छानुसार खर्च के लिए द्रव्य ले जाओ.' ___अब मूलदेव महाराजा विक्रम से गगनधूली का पता लेकर चला, चम्मापुरी में पहूँच कर उसने गगनधली के घर का पता लगा दिया. गगनधूली के मकान के पास में ही एक वृद्धा का घर था. उसको थोडा सा द्रव्य देकर वृद्धा के घर में वह रहने लगा, उस वृद्धा को कुछ और द्रव्य का लोभ देकर मूलदेवने कहा, "गगनधली की स्त्री सुरुपा को मेरे साथ मिलन के लिए तुम आकर्षित कर सको तो, मैं तुम्हे और बहुतसा द्रव्य ढुंगा ?" वह वृद्धा लोभ' में आकर गगनधूली के घर गई, और P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust