________________ तेपनवाँ-प्रकरण गगनधूली का रहस्यमय जीवनवृत्तान्त चालु "मन मेला तन उजला, बँगुला कपटी अंग; तासे तो कौवा भला, तन मन एक ही रंग." पाठकगण ! आपने गत प्रकरण में महाराजा की सौभाग्यसुदरी * से शादी इत्यादि एक डण्डियां महल में गगनधूली का प्रवेश एवं जंगल के खंडेहरमें योगी की मायाजाल आदि आश्चर्यजनक बातें पड़ी. गगनधली द्वारा अपनी जीवन कहानी महाराजा से कहने का आरंभ करना, और अपना गगनधली नाम कैसे प्रसिद्धि में आया आदि बताना, बाद में अपनी शादी होना, कामलता वेश्या के प्रेम में फँसना और धन, माल आदि से खुव्वार होना, धन नष्ट होने पर वेश्या द्वारा तिरस्कार पाना, दरिद्र-अवस्था में श्वसुर के घर जाना, वहां पत्नी के हाथ से भिक्षा लेना, वहां पर ही द्वारपाल की नौकरी करना, अपनी स्त्रीका दृष्ट चरित्र अवलोकन करना, सोना का तावीज हाथ लगना इत्यादि सब हाल रसमय रीती से आप लोग पढ़ चूके हैं, अब आगे का वृत्तान्त इस प्रकरण में बताया जा रहा है. गगनधूली कहने लगा कि, " अपने घर पहुंचते मैंने जमीन खोदा और इसमें से अतुल धनराशी को प्राप्त किया, बाद में घर वगैरे सुदर बँधवाया; सवारी के लिये घोड़ा और घरमें अच्छे नौकरचाकर आदि भी रखें. एक दिन मैं सुंदर वस्त्रालंकारादि से P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust