________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय सयोजित तो कोई न कोई को प्रगट करें. ..महाराज के इस प्रकार कहने से वह योगिनी भी मन में समझ गई कि पुरुष प्रगट करने की बात का पता महाराज को .. लग गया हैं. यह विचार कर, बिना आनाकानी किये शीघ्र ही उसने एक पुरुष को प्रगट कर दिया. .. ___तीन आसन पूरे हो गये और चौथे आसन पर महाराजा स्वयं बैठ गये, अब एक आसन को खाली दिखा कर महाराजाने सौभाग्यसुदरी से कहा, "हे प्रिये ! क्या तुम भी कोई पुरुष प्रगट कर सकती हो ?"" .... IPLITUDIO महाराजा एकदण्डयां महल में सौभाग्यसुदरी से कह रहे है. . चित्र नं. 13 सौभाग्यसुंदरी-महाराज! मैं कोई योगिनी थोडी ही Jun Gun Aaradhak Trust * P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.