________________ विक्रम चरित्र पांच मनुष्यों के लिये स्वादिष्ट भोजन सामग्री बनाओ और उन्होंके बैठने के लिये पाँच आसन भी लगा दो. योगी के आने पर उसे भोजन करने के लिए आसन पर बैठने को कहा, जब योगी आसन पर बैठ गये तब महाराजाने कहा, " हे योगीराज! आप योगिनी विना अकेले नहीं शोभते, अतः अपनी योगिनी को भी प्रकट करें.” योगी-हे राजन् ! आप क्यों मेरा अपमान करते हैं, मेरे पास योगिनी का क्या काम ? मैं तो स्वतः अकेला-अवधुत हूँ. महाराज-आप अधिक खुशामद न करावे, और शीघ्र ही योगिनी को प्रकट करें. योगी मनमें समझ गया कि राजा किसी ने किसी तरह से मेरी माया-जाल जान गया है, और राजा का विशेष आग्रह देख कर अन्त में योगिराज को योगिनी प्रगट करनी ही पड़ी. अर्थात् योगीने झोलिका में से एक योगिनी प्रगट कर दिखाई. महाराजाने उस योगिनी को पास में बैठा कर योगिनी से कहा, "हे देवी! आप भी तो कुछ चमत्कार दिखाएँ; जैसे कि योगीराजने अपने प्रभाव से तुम्हें प्रगट कर दिखाया है." __योगिनी-मैं कोई चमत्कार नहीं जानती हूँ. महाराजा-वाह ! यह कैसे हो सकता हैं, आप भी P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gurt Aaradhak Trust