________________ विक्रम चरि गया. इस प्रकार वह बाद मैं रोज आनेजाने लगा. मैं दोनों में प्रगाढ़ प्रेम हो गया. ___ राजा विक्रमादित्य भी यहां समय समय पर आतेजा थे. एकबार उन्होंने अपने साथ का दिनों दिन के प्रेम में अंत पाया अर्थात् प्रेम व्यवहार दिनों दिन कम होने लगा. अत उसकी जांच करने का महाराजाने निश्चय किया. अंत वह सौभाग्यसुंदरी के महल की वख्त वेवख्त एकाएक मुलाकात लेते थे, एक दिन अचानक महाराजा महल में अ पहूँचे. उस समय चारों ओर भोग सामग्री और पान-बीड़ आदि प्रत्यक्ष पड़े हुए देख कर, महाराजा मनमें सोचने लगे कि यहाँ कोई पुरुष अवश्य ही आताजाता हैं; आखिर में बहुत सावधानी से पता लगाने पर गगनधुली और सौभाग्यसुंदरी की प्रेमलीला रूप नाटक को संपूर्ण जान लिया. महाराजा मनमें विचारने लगे, 'अपनी घरकी बात बुद्धिमान मनुष्यों को कहीं प्रकट नहीं करनी चाहिए. कुलटा स्त्रीयों के लिये कहना ही क्या ? एक स्थल पर बताया है कि "सदा विचारते रहो क्षण क्षण पलटे रूप, नारी दोष अनेक है वे है माया स्वरूप." इस तरह विचार करते करते कोई एक दिन रातको उस एक स्थ भिया महल से कुछ दूरी पर, जंगल में एक जूना पुराणा दुटा हुआ खंडेर में कुछ प्रकाश दिखाई दिया, तब कुतुहल 17 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust