________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 387. ___ पाठकगण ! आपने महान् परोपकारी विक्रम महाराजा का पाताल में राक्षसाधिराज बलि राजा के पास में जाकर उस अमूल्य रत्न के मूल्य का पता लगाना तथा युधिष्ठिर जैसे महान् सत्यवक्ता-धर्म निष्ट की कथा श्रवण कर उनके परोपकार की प्रशंसा का परिचय किया और महाराजा विक्रमने लौट कर वणिक को उस रत्न का मूल्य दे कर संतुष्ट करने आदि हाल आर भली भाँति जान गये होगे. . अब आप आगामी प्रकरण में विक्रमादित्य राजा का सौभाग्यमंजरी और गगनधूलि से परिचय कर तथा उनकी * रोमांचकारी कथा का हाल पढ़ेगे. . - - શ્રી નેમિ-અમૃત-નાન્તિનિજન સંઘમાળા ગયા-૧૮) # मा પંચમીનો મહિમા म्य EVAN / M OOOONDARICORDARTHra अपने वालकां को पढाईए ज्ञानपंचमी महान् पर्व का इतिहास, उस पर्वकी महिमा, વરદત્ત-ગુણમંજરી सूचक दो कथा एवं ज्ञान की महत्ता, ज्ञान आशातना से होने वाले गेरलाभ इत्यादि सुदृढ संस्कारों को पोषण करनेवाली और हर्षपूर्वक पढे एसी सरल शैलों में तैयार की गई हैं। 6 मनोहर चित्रो सहित पृष्ठ 72, किंमत आठ आने प्राप्तिस्थानः-जैन प्रकाशन मन्दिर, 309/4 डोशीवाडानी पोल, अमदावाद. . IRMAN-माती tar-AAAAAB P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust