________________ 384 विक्रम चरित्र शीघ्र ले आओ.x द्वारपालने वह काव्य विक्रम को सुनाया"धर्मराज या दशमुख अथवा हनुमान या षण्डमुख; अथवा विक्रमार्क भूपति ! जो आया मेरे घर मुख." उत्तर में विक्रमने द्वारपाल द्वारा एक काव्य बलि राजा से कहलाया, "हे राजन् ! उन्होंने पूछने पर ईस प्रकार .. उत्तर दिया है." “राजा हूँ मैं मंडलिक हूँ, भक्त रामनृप शीतल का; समझ कहो कुमार मुझे नृप-या तलार पृथ्वीतल का." द्वारपाल के द्वारा लाया गया विक्रम राजा का काव्य से उत्तर सुन बलि राजा को निश्चय हो गया कि, वह पृथ्वी का राजा विक्रमादित्य ही है, अतः उसे आदर सहित अंदर लाने का आदेश दिया. द्वारपाल भी बलि राजा के आदेश से राजा विक्रमादित्य को आदर और सन्मानपूर्वक राजमहल में ले आया. - * बलिनोक्तं सूक्तम्-धर्मपुत्रो दशमुखो हनुमान् षण्डमुखः पुनः / विक्रमार्क इति पृष्ठ बलिना हरिसंनिधौ // स. 10/329 // विक्रमोक्त सूक्तम् राजाऽहं मंडलिकोऽहं वठोऽहं रामभूपते / कुमारोऽहं तलारोऽई द्वारस्य जल्प बलेः पुरः / / स. 20/328 / / Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.