________________ 382 विक्रम चरित्र कहा, “आप कौन हो ? किस कार्य के लिये आपका यहां आना हुआ है ?" . विक्रमने कहा, "मै वलि महाराजा के पास सब कहूंगा हे द्वारपाल ! तुम अपने स्वामि से जाकर कहो कि आपसे मिलने के लिये एक राजा आया है." यह सुन कर द्वारपाल महाराजा बलि के पास गया, और नमस्कार कर अपने स्वामि से निवेदन किया, " हे राजन् ! प्रवेशद्वार पर कोई राजा आया है, वह आपसे अभी मिलना चाहता है. उन को अंदर प्रवेश करने दूं या नहीं ?" बलि राजाने द्वारपाल को कहा, "तुम उससे जाकर पूछो कि क्या आप राजा युधिष्ठिर है ? " राजा बलि की आज्ञा पाते ही द्वारपाल लौट कर दरवाजे पर आया और उसने विक्रम से कहा, “क्या आप राजा युधिष्ठिर है ?" "ना, बलि राजा से जाकर कहिये कि मंडलिक आया है." ऐसा विक्रमने द्वारपाल से कहलाया. तब द्वारपालने बलिराजा के पास जाकर कहा, "वह अपने को मंडलिक कहता है." यह सुन बलिराजाने द्वारपाल से कहा, “तुम जाकर उस से पूछो कि क्या आप मंडलिक याने दशमुख-रावण है ?" - तब कृष्ण सेवकने दरवाजे पर आकर उस से पूछा, " क्या आप राक्षसाधिपति-रावण है?" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust