________________ 370 विक्रम चरित्र व्यक्ति के लिये पूर्ण आवश्यक है, ताकि वह अपना ईह लोक और परलोक सफल बना सके. "माता पिता उसे जानना, जानना प्यारा मित्र; वडील उन्हे जानना. शीखवे धर्म पवित्र." धनद् सेटने अपने पुत्र की विवाह योग्य उमर को देख उस की शादी करने का मनमें निश्चय किया, कई स्थानो पर सुयोग्य कन्याकी तलाश करने लगे, तलास करते करते ‘धनद् सेठने सोलह धनवान श्रेष्ठियों से अपने पुत्र के लिये सुन्दर और गुणी कन्याओं कि मांग की. शुभ दिन और शुभ मुहूर्त का निश्चय कर अपने पुत्र की शादी की तैयारी करने लगे. परन्तु धनद् सेठ के प्रत्येक कार्यो में कुछ ने कुछ अपशुकन और विघ्न होने लगे, यह देख सेठ बड़ें सोच-विचार में पड़ गया. काफी विचार करने पर उसे स्मरण हुआ, 'मैंने अवंती नगरी के विक्रम को वचन दिया था, कि मैं अपने पुत्र के विवाह प्रसंग पर आप को बुलाने आऊँगा; यह बाते भूल जाने की कारण ही वे अपशुकन होते होगे ?' ऐसा सोच शोघ ही सब कार्य छोड़, धनद् सेठने अवंती नगरी, को प्रस्थान किया. अवंती नगरी में पहूँच उसने अवतीनिवासीयों से विक्रम का निवासस्थान पूछा, पर उन्होंने कहा, '' यहाँ तो कई विक्रम है, आप किस विक्रम के विषय में पूछते है ?" धनद् सेठने विक्रम के रूप, रंग और शरीर, अवस्था आदि P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust