________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित . दूसरे दिन अपने निश्चय के अनुसार संध्या समय पर महाराजा विक्रमादित्य काले कपड़े पहन-अदृश्य होकर उस धनद् सेठ के मकान में आकर एकान्त में गुप्त रूप में रहे, कुछ रात्रि व्यतीत होने पर, कम अधिष्टात्रि देवी का आगमन हुआ, उसने धनद् सेठ के पुत्र की ललाट में कर्म का लिखना आरंभ किया. जब विधातादेवी कर्म लिख कर वापिस लौटने लगी तब विक्रम महाराजाने उसका हाथ पकड कर रोका, और पूछा, “इस बालक के भाग्य में क्या लिखा है ?" LI NATOPATI समा bas. EY महाराजाने कर्म-अधिष्टात्रिदेवी का हाथ पकड़ा. चित्र नं. 9 देवी-आप कौन हो ? आपको ईस विषय से क्या मतलब ? राजा-मैं विक्रम हुँ, ललाट में क्या लिखा यह बताये "बिना आप को नहि जाने दूंगा. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust