________________ विक्रम चरित्र राज्यव्यवस्था का योग्य प्रबंध कर, एक दिन अपने पूर्व निश्चय के अनुसार महाराजाने अवंती नगरी से विदेशभ्रमण के हेतु प्रस्थान किया, अनेक स्थानों का भ्रमण करते और अनेक प्रकार के कौतुक देखते हुए वह अपने देश से बहुत दूर निकल गये. चलते चलते वह कोई एक सुन्दर नगर में पहूँचे, जिसका नाम 'चैत्रपुर' था, नगर में घूमते शहर की सुन्दरता देखते देखते आगे बढ़े, एक सुन्दर हवेली के समीप में कई व्यक्तियों को एकत्रित हुए देखे, उसी स्थल जाकर महाराजाने एक आदमी से पूछा, “ये लोग यहां क्यों एकत्रित हुए है ?" / उस नगरवासीने कहा, "आज ईस सेठ के यहां उत्सव है, इस सेठ का नाम धनद् हैं, यह सेठ बड़ा ही धनवान है." विक्रमराजा-किस कारण से यह उत्सव करा रहे है ? . नगरवासी-इस सेठ को अभी तक कोई संतान नहि था, अनेक मनोरथो के बाद में प्रभु भक्ति और धर्म के प्रभाव से सेठ के यहाँ एक पुत्र का जन्म हुआ है, जिस का कल ही छट्ठा दिन है, उसके निमित्त यह उत्सव मनाया जा रहा है; कल यहाँ पर छठी का जागरण होगा, ईस नवजात शिशु के भाग्य को लिखने के लिये कल कर्म-अधिष्टात्रि देवीविधाता यहां आयगी. * महाराजा विक्रम यह जानकर वहां से अपने विश्राम 'स्थान पर चले आये, और मनमें निश्चय किया कि विधाता , . कौन है ? क्या कर्म लिखती है ? आदि देखना चाहिए ! P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust