________________ विक्रम चरित्र लोग यही समझते हैं कि ईसको ज्ञान नहीं. जो व्यक्ति गर्व से दूर रह कर अपना कर्तव्य पूरा करने का प्रयत्न करता हैं और यथाशक्ति सन्मार्ग पर चलता हुआ, दान पुण्यादि धर्मकार्य करता रहता है, उनका उन धर्मादिक कर्तव्य के प्रभावसे ईह लोक और परलोक का दोनों मार्ग उज्जवल बन जाता है उपरोक्त जीवनके अमूल्य कर्तव्यो से ही मानवजीवन की सफलता मानी जाती है. अब आप आगामी प्रकरण में महाराजा का विधाता से मिलाप, उस से वार्तालाप आदि का हाल पढ़ कर उनके साहस और परोपकारी कार्य आदि की जानकारी प्राप्त करेंगे. भगवान श्रीनेमिनाथ अने श्रीकृष्ण इस पुस्तक में त्रिकालज्ञ.नी कथित जैन साहित्यदृष्टिसे छयासी . 22-2-av 4.C-Centevnadhee हजार वर्ष पूर्व हुए भगवान श्रीनेमिनाथ, / कृष्णवासुदेव, बलदेवजी, वसुदेवजी, MAHI यादव, पाण्डव, कौरव, सत्यभामा, रुक्ष्मणि, शाम्ब, प्रद्युम्न, जरासंघ, कंस आदिका जीवनपरिचय व द्वारिकादहन और श्रीकृष्ण के आगामी भवका वृत्तान्त बोधक, सरल व संस्कारित शलीमें पढने मीलेगा, मनोहर 34 चित्र, 208 पृष्ठ, मूल्य केवल दो रुपये. प्राप्तिस्थान : जशवंतलाल गिरधरलाल शाह C/o जैन प्रकाशन मन्दिर, 309/4 डोशीवाडा की पोल, अमदावाद नापानी yes P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust