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________________ . 356 विक्रम चरित्र कुछ भी नहीं करते किन्तु पिछे से हानि कर देते है. इस लिये हम लोगों को चाहिए कि हम महाराजा को गर्व से मुक्त करने का कोई ठोस उपाय खोजे." कुछ दिन बाद संयोग से राजाने नगरी के पंडितों को बुलाकर कहा, " आप-लोगों में से कोई मुझे राम-राज्य की कथा सुना सकते हैं ?" इसके उत्तर में एक वृद्ध मंत्री ने आगे आकर उत्तर दिया, "हे राजन् ! अयोध्या नगरी में एक वृद्ध ब्राह्मण है, वह राम राज्य की कथा अच्छी तरह कुल परंपरासे जानता हैं, अतः आप उन्हें बुलाकर उन्हों से रामराज्य की कथा सुनिये." वृद्ध मंत्री की बात सुनकर महाराजाने शीघ्र ही उस वृद्ध ब्राह्मण को बुलाने के लिये अयोध्या को दूत भेज दिया. जब दूत उस वृद्ध ब्राह्मण को लेकर आया तो उसका बडा आदर करके महार जाने पुनः अपनी इच्छा इस ब्राह्मण के आगे प्रगट की. उत्तर में अयोध्या निवासी ब्राह्मणने कहा, "हे राजन् ! में आप को यहाँ रहकर रामराज्य की कथा भली / भाति नहीं सुना सकता. अतः आप अयोध्या पधारे तो में / आपको राम-राज्य की कथा अच्छी तरह से सुनाऊँगा. ___ यहाँ पर रहते हुए श्री रामचंद्रजी को थोड़ा भी वृत्तान्त मैं अच्छी तरह नहीं कह सकता हुँ." उस वृद्ध ब्राह्मण का सलाह भानकर और राज्य व्यवस्था का सब भार मंत्रीश्वर को सापकर महाराजा विक्रमादित्य अपना राज रसाला साथ Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. suri M.S. . .
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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