________________ 350 . विक्रम चरित्र लिए इन अमूल्य रत्नोंसे भरा हुआ थाल लाई हुँ,आप इसे ग्रहण कीजिये.” इस प्रकार इन दोनों की बातें हो रही थी, उसी समय महाराजा विक्रम भी पूर्व संकेत के अनुसार आ पहुँचे और उस तापस से अपने पांचों रत्न मांगे. तापस अब ऐसी परिस्थिति में फँस गया की उसकी गति सांप छुछ्न्दर की सी हो गई. तापस सोचने लगा, “अब क्या किया जाय ? अगर मैं इस आदमी के रत्न नहीं दूंगा तो इससे इस वेश्या पर यह प्रभाव पड़ेगा कि तापस कोई ठग है. ठग समझे जाने के साथ साथ मैं अमूल्य थाल भरे रत्नों को खो बैलूंगा. अतः अब तो पथिक को उसके रत्न लौटाने में ही लाभ है." IMINAN SHAILEN ___w355 तापसने पथिक को उसके अमूल्य पांचों रत्न दे दिये चित्र नं. 7 .. इस प्रकार सोच बिचार कर उस ठग तापसने पथिक का P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust