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________________ 346 विक्रम चरित्र में मेरा कोई दोष नहीं है. यह तो दीवार बनाने वाले कारीगर का दोष है, जिसने दीवार को कमजोर बनाया है.” राजा को गोविन्द सेठ की बात समजमें आई, और उसने गोविन्द सेठ को छोड़ देने की आज्ञा देकर उस दीबार बनाने वाले कारीगर को बुलवा कर कहा, "हे कारीगर! तुमने गोविन्द सेठ की दीवार को इतना कमजोर क्यों बनाई जिससे कि इस वृद्धा का इकलौता पुत्र मारा गया ? अतः तुम्हे शूली की सजा दी ले जाने लगे. उसी समय कारीगरने रोकर गिडगिडाते हुए स्वरसे कहा, "हे राजन् ! इस दीवार के कमजोर बनने में मेरा कुछ भी दोष नहीं है, कारण कि जिस समय मैं गोविन्द सेठ के मकान की दीवार को बना रहा था, उसी समय कामलता नाम की वेश्या उधर से नीकली, उसके आने से मेरा ध्यान उस और चला गया और इससे दीवार में कुछ इंटो की कमी रह गई. अतः हे दीनानाथ ! आप मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे.” राजाने कारीगर की प्रार्थना को उचित समझ कर उसे छोड़कर 'कामलता' नामक वेश्या को बुलाने का आदेश दिया. राजाज्ञा से तुरंत ही कामलता को राजसभा में बुलाई गयी. उससे सब बाते कहकर उस को शूली पर चढ़ाने की आज्ञा दी. वेश्याने तुरंत दुःखी होकर राजासे निवेदन किया, " हे महाराज ! मुझे आप इस अपराध में क्यों शूली का दंड दे रहे हैं. मैं निर्दोष हूँ, आप कृपा कर मेरी प्रार्थना सुनिये. जव में चौराहे पर होकर जा रही थी, उसी समय उसा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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