________________ 344 विक्रम चरित्र " जब गाडी के टूट जाने से तुमने अपने बैलों को गाडी से बाधा तो यह निश्चय है कि तुम्हारे बैलोंने ही इसके खेत खाया हैं ?" अतः मत्रीश्वरने इस अपराध में उस राहगीर का सारा माल जप्त करने का आदेश दिया. राहगीर इस आदेश को सुन बहुत रोया. बार बार प्रार्थना की पर उसकी सुनवाई कोन करे ? पाषाणहृदय मंत्रीने इस राहगीर का माल जप्त करवा ही लिया. आखिर वह निराश हो वहाँ से चला गया. - बाद में उस किसान को भी मत्रीने फटराते हुए कहा, “रे दुष्ट ! तुमने फिजूल ही उस राहगीर की गाडी को तोड़ डालाः इस अपराध में तुम्हारा भी घर जप्त किया जाता है. तुरंत ही मत्रीश्वरने अपने कर्मचारियों से उसके मकान का सारा ही माल मंगवा लिया. वह किसान भी विचारा दुःखी होकर लौट गया. इस प्रकार इस अन्यायपूर्ण दृश्य को देख महाराजा विक्रम निराश हो वहाँ से राजा के महल की और चल दिया अब उन्होंने यहां के राजा को मिलने का निश्चय किया. ____ महाराजा विक्रम इस शहर के अन्यायी राजा के पास पहुँचे ही थे, कि इतने में एक वृद्धा वहाँ आई और रोती हुई कहने लगी, “हे राजन् ! आप के राज्य में इस प्रकार का अन्याय होता है ? आप को प्रजा के दुःख सुख की कोई परवाह ही नहीं ? राजा का कर्तव्य है, कि वह दुष्टों को , दंड दे और धर्म की रक्षा करे. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust