________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 337 . राजा विक्रम अपने पास के पांचों रत्न तापस को संभालने दे रहा है।। .. चित्र नं. 4. .. नहीं हैं. कारण कि साधुओं के लिए द्रव्यसंग्रह करना बड़ा. .. दोष है, कहा भी है "दोष मूल इन धन दौलत का, मुनियो ने है त्याज्य कहा, - अर्थ नहीं यह भी अनर्थ है, क्यों अनर्थ रखते हो यहा." - इस प्रकार उस तापसने उन रत्नों को अपने पास रखने से बिलकुल ईन्कार कर दिया और पुनः आगे कहा, "हे भाई!' अगर आप इन रत्नों को अपने साथ नहीं रखना चाहते तो इन्हें तुम्हारे हाथों से निकट के उस नाले " में रख दे. ". .. __P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust