________________ अडतालीवाँ-प्रकरण महाराजा विक्रम का देशाटन के लिये जाना " सज्जन दुर्जन ज्ञान हो, जानत विविध चरित्र, देशाटन खुदको करा, देता अधिक पवित्र." . देशाटन करने से अनेक प्रकार के अनुभव होता हैं, अनेक प्रकार के मनुष्यों का परिचय होता है और कई प्रकार के नविन स्थान आदि देखने से उस की बुद्धि तीव्र हो जाती हैं. इस प्रकार की बाते विद्वानों से सुनकर महाराजा विक्रमादित्य को देशाटन करने की ईच्छा हुई. एक दिन राज्यकार्य से अवकाश लेकर महाराजा अपने भंडारमें से अपूर्व पाँच रत्न को साथ में ले देशाटन के लिये निकल पड़ा.. . . ..... ___ अवंतीनगरी से प्रस्थान कर अनेक शहरों, जंगलो, पहाड़ों और नदीयों आदि को पार करते हुए एक अज्ञात देशमे. जा पहूँचा. घूमते फिरते वह सुन्दर शहर में पहूँचा. लोग जिस . को “पद्मपुर" कहते थे. यह नगर वास्तव मे 'यथा नाम तथा गुणाः” के अनुसार सुन्दर भी अधिक था; परन्तु इसमें बसनेवाले सभी निवासी ठग थे. यहाँ का जो राजा उसका नाम अन्यायी और इस का मंत्री नो सर्वभक्षी और पाषाणहृदय नाम से प्रख्यात था. इस प्रकार की नगरी की जानकारी P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust