________________ विक्रम चरित्र विद्वान जान उस की परीक्षा के लिये उसके सामने एक समस्या रखी.. विक्रम महाराजाने कहा, “वाहनोपरि तरंति समुद्राः" अर्थात् वाहन पर बैठ कर समुद्र तरते है. आप इस समस्या की पूर्ति कीजिये." इस समस्या की पूर्ति का उत्तर कालोदासने शीन ही दिया. " पर्वत उपर उठे मेवको, देख अधिक जल भरते; अर्थात् जल से परिपूर्ण मेघों को पहाडों पर वरसते देख विद्वान लोग कहने लगे कि समुद्र पहाड रूपी वाहनों से लरते है."x . इस प्रकार राजा विक्रमादित्य द्वारा दी गई समस्या को शीघ्र ही पूरी करते देख वहा की राजसभा के सभी उपस्थित लोगों के साथ साथ महाराजा विक्रमादित्य को भी बहुत आश्चर्य हुआ, और साथ ही सभी कालीदास की चमत्कारपूर्ण विद्यासे प्रसन्न हो गये. राजसभा से निवृत्त हो वह कालीदास सीधा अंतःपुर में अपनी प्रिया पियंगुमंजरी के पास गया. अपने पतिको आया *" मेदनीधरशिरस्सु पयोदान् बर्ष तो जलभृतश्चरतोऽलम् / वीक्ष्य पंडितजना जगुरेव वाहनोपरि तरन्ति समुद्राः ।।स. 10 / / 71 / / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust