________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित छोटा सा टुकडा के लिये कामघट' कौन तोड़ेगा ? : देवी द्वारा दिये गये वरदान की खबर चारों ओर हवा की तरह फैल गई. साथ यह खबर प्रियंगुमंजरी को भी लगी. और प्रसन्न हो उस महाकाली के मंदिर में शीच जा पहूँची. उसने जाकर अपने पति को देवी के पास बैठा देखा. उसने पति से प्रश्न किया, “क्या आप पर काली माता प्रसन्न हो गई ? ' इस प्रकार अपने पति के पास आई हुई, प्रियंगुमंजरी द्वारा कहे गये शब्दों को सुन महाकाली को और भी अधिक अपनी प्रतिष्ठा की चिंता हुई. अंतमें अब उसने अपने विचार के अनुसार प्रकट होकर उस मूढ ग्वाल को अपूर्व सुन्दर काव्य-कविता करने की शक्ति और अन्य विद्याएँ भी प्रदान कर दी. प्रकट रूपसे काली द्वारा पुनः दिये गये वरदान को पा कर वे दोनो पति-पत्नी उत्साहसे अपने राजमहल की ओर चले. वह ग्वाल तो सीधा ही राजसभा में जाकर राजा के पास पहुँचा, अपने जामाता को आते हुए देख विक्रमादित्यने हस्ते हुए कहा, "हे कालीदासीपुत्र पधारिये, और कोई सुंदर काव्य सुनाइये." जमाई-मैं कालीदासी पुत्र नहीं हूँ, किंतु मैं अपने भाग्यवश कालीदेवी का दास बना हूँ, अर्थात् मैं कालीदास हूँ. ... कालीदासको महाराजा तथा प्रियंगुमंजरी द्वारा परीक्षा - महागजा विक्रमादित्यने अपने जामाता कालीदास को . ... 1 कामघ. याने कामकुम्भः-काम इच्छाओंको पूर्ण करनेवाला घट. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust