________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 327 महाराजाने अपने निश्चय के अनुसार अपनी देखरेख में अपने कई दास-दासीयों सहित महाकालो की अपूर्व पूजा का आयोजन किया. अनेक प्रकार की विधिपूर्वक महाकाली की पूजा करवाई. परन्तु अन्तमें महाकाली को प्रसन्न न होते देख महाराजा स्वयं भी हताश हो गये. अंतमें उन्होंने एक और उपाय सोचा. उन्होंने अपनी एक चतुर दासी को बुलाया, जिसका नाम भी काली ही था. महाराजाने उसे समझा कर काली के मन्दिरमें भेज दिया. वह दासी गुप्त रूप से काली के मन्दिर में प्रवेश कर महाकाली की मूर्ति के पीछे छिप गई. EVER to Trum Ndaul IMEANI ufurnal Miniatri RAN MiAMA MILIMIT AMITIU uyti 14 AVI महाराजका जमाई काली माता के मंदिरमें अड्डा जमाकर बैठे. चित्र नं. 3 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust