________________ विक्रम चरित्र दान दे, मुझे विद्वान बना, अन्यथा मैं अब तेरे ही चरणों में अपने प्राणों का बलिदान कर दूंगा, मैं तो तेरा पुत्र-सरस्वती पुत्र प्रसिद्ध हो चुका हूँ.” इस बातकी लाज रख. 'परन्तु इन सब बातों को कहने पर भी देवी प्रसन्न नहीं हुई. जब कालीका देवी से कुछ भी उत्तर न मिला तब वह गोपाल भी अपनी प्रतिज्ञा-निश्चय के अनुसार देवी के सन्मुख ही बैठा रहता और अपने मनकी इच्छा को बार बार दूहराता रहता. इस प्रकार वह कई दिनों तक भूखा-प्यासा रहने से दूबला-पतला हो गया. यह खबर अवंती नगरी में तुरंत ही सर्वत्र फैल गई कि महाराजा विक्रमादित्य का जमाई देवीके मन्दिर में अपनी इच्छा को पूर्ण करने के उद्देश्य से आराधना में बैठा है. ___ वह कई दिनों से जल-अन्नादि त्याग कर चुका है. यह खबर अवंतीपति महाराजा विक्रमादित्य को भी लगी, और वे स्वयं उसे देखने वहीं पधारे. उसका शरीर देख कर महाराजा चिंतातुर हो गये, उनके मनमें नाना प्रकार के विचार उठने लगे.. 'कही यह मर न जाय और मेरी प्रिय पुत्रीका वैधव्य याने विधवापना मुझे देखना न पड़ें?' इस प्रकार अपने जामाता को प्रतिज्ञा पर अटल देख उसने भी अपनी और से एक दिन महाकाली की बड़ी पूजा का आयोजन किया. ताकि संभव है देवी प्रसन्न हो जाय, P.P.AC.Gunratnasuri-M.S. Jun Gun Aaradhak Trust